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गुरुवार, 21 मार्च 2013

अन्नू भाई चला चकराता …पम्म…पम्म…पम्म (भाग- 4 ) टाइगर फाल (TIGER FALL)

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा था के कैसे हम बुधेर के बुग्याल  और मोइल गुफा का मजा लूट , वापिस  बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस पहुँच, एक अजीब सी उलझन में फंस गए थे  यही की अपने अन्नू भाई की राफ्टिंग की ख्वाहिश  .........
ये लो …अब इसे क्या हुआ इतने जंगल में अब राफ्टिंग कहाँ से करें। कहाँ ऋषिकेश कहाँ हम चकराता के जंगलो में …क्या प्रोग्राम था कानासर , देवबन , टाइगर  फाल ???? अब उसका क्या …
बुधेर के बुग्याल के छोटे से हिस्से में छोटा सा अनुज 

रविवार, 10 मार्च 2013

अन्नू भाई चला चकराता ...पम्म...पम्म...पम्म (भाग- 3 ) रहस्यमई मोइला गुफा


पिछली पोस्ट में आप ने पढ़ा के दिनभर की जद्दोजहद और यात्रा का आनंद उठाते हुए आखिरकार हम अपने गंतव्य स्थान चकराता और उस पर भी अपने पसंदीदा एतिहासिक होटल स्नो व्यू के कमरे में पहुँच सपनो के दुनिया में खो चुके थे ! आगे …

 रात में मेरी आँख एक दो बार डर कर खुल गयी ...अरे अरे आप लोग घबराओ मत .......क्यूंकि  डर किसी भूत या चुड़ैल हा न होकर इस बात का था की कहीं हम सोते सोते रह जाए और एक खुबसूरत सूर्योदय देखना, कल रात जैसी चाय न हो जाए ......
खैर जी मैं अपनी आदत से मजबूर .....यही की पहाड़ो में सुबह जल्दी उठो और बस निकल पड़ो, प्रकृति की खूबसूरती का मजा लेने! सो आज भी मैं सबसे पहले उठ, अनुज और प्रवीण को बाहर का नजारा लेने के लिए उठाने लगा ! लेकिन कई बार हिलाने और बुलाने पर जब प्रवीण बाबू नहीं उठे तो मैं और अनुज चल पड़े अपनी पहाड़ी सुबह का मजा लूटने !

नींद की खुमारी ....सब पर भारी  (प्रवीण बाबू)

 बाहर आते ही हमारे मुह से निकला .....वाआओ .... क्या सीन है यार .... दूर पहाड़ो के पीछे धरती पर पड़ती सूरज की पहली किरण जैसे कह रही हो, देखा हूँ न मैं बहुत सुंदर ...... थोड़ी देर हम कोतुहल से भरे उस रंग बदलते  पहाडो  और आसमान को देखते रहे ....फिर हमे याद आया की हमारे कैमरे भी इन्ही लम्हों के इंतज़ार में तो थे ...

चकराता की खुबसूरत सुबह ....और उसे कभी निहारंता और कभी कैमरे में सजोंता ...मैं